अभिलाषा शब्द सुनते ही
महत व्यक्तियों की अभिलाषा
दौड़ आता है मन मे
जैसे कवी मखनलाल चतुर्वेदी की कविता
"पुष्प की अभिलाषा" मे देश भक्ति के विचार
रबीन्द्रनाथ ठाकुर की "गीतांजलि" मे कवी की इच्छा,
कि अपने देशवासी निडर रहे !
अब एक सामान्य व्यक्ति, मैं
मेरी क्या अभिलाषा हो सकता है ?
बस यही , कि विश्व मे सब
अपना - पराया की चिंता छोड़ दे
और "जियो , जीने दो "
की नीति अपनाये
लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु !
राजीव मूतेडत
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