ओ गुलाब, कितने सुन्दर हो तुम!
हर कोई तुम्हें देखकर
हसने, गाने लगते है
ख़ुशी से झूम उठने लगते है
तब तक तो ठीक है!
पर है कुछ लोग, जो इस चाह को
कबसे में बदलना, तुम्हें
अधीन में करना चाहता है,
अपने बालों या कोट के जेब तक
सीमित रखना चाहता है!
भागीचे मे प्रिय गुलाब, तुम
एक नहीं, हज़ारों को खुश करते हो
तुम्हारी स्वतंत्रता से
एक नहीं , बहुतों का है फायदा
दुआ है कि तुम आज़ाद रहे
और दिखाता , फैलाते रहे
अपना रंग और खुशबू
मरते दम तक !
ओ गुलाब, कितने सुन्दर हो तुम ....
राजीव मूतेडत
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