Monday, 4 December 2023

यादें - जीवन का सहयात्री

 तरह तरह की यादें 

कुछ रंगीन, सुनहरे 

कुछ दर्द भरी , भूलने योग्य 

बचपन से बुढ़ापे तक, यादें ही यादें हैं 


ऐसा क्यों, कि  मीठी यादों से ज़्यादा 

कड़वी यादें आती हैं , सताती हैं 

इस बुढ़ापे में ? 


तो  बन गयी है  यादें 

पूरे जीवन का सहयात्री 

ये  रहेगी  साथ में 

मरते दम तक !

आगे  की यात्रा में भी  , अनंत यात्रा में 

क्या साथ देगी, ये यादें ?

कौन जाने ...?   

राजीव मूतेडत

     

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