Sunday, 15 December 2019

काश...

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काश,  ये देश द्रोही
बलातकार पर, इतना हल्ला न मचाता
तो देश का, विश्व स्तर पर, बदनाम न होता

काश,  ये नव जवान , ऊबर / ओला से
सवार न करते , बल्कि गाडी खरीद  लेते
तो मोटर कार की बिक्री , इतना न  घटता

काश,  ये आम आदमी
प्याज  कम खाता, या बिलकुल नहीं खाता
प्रिय, वित्त मंत्री जैसे
तो न होता,  इतना हल्ला, मामूली बातों पर 

काश, आम नागरिक, मामूली विषयों
जैसे रोज़गार, मंदी, खेती संकट,
महंगाई, इत्यादि   पर कम
और राष्ट्र , राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय गौरव पर
ज़्यादा ज़ोर देता
तो बहुत  ऊंचा रहता
भारत की शान ! 

काश ..... 

2 comments:

  1. Nice to know that you write poems in English, Malayalam and Hindi. Any other language?

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  2. Thanks a lot! I predominantly write in English and occasionally in Malayalam and Hindi.

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