Thursday, 3 November 2022

जोड़ तोड़ की कला















कारीगर का कई घंटों की मेहनत,

प्यार से,  बनती है घड़ा

उसी को तोड़ सकता है 

एक ही क्षण में ... 


एक संस्था का निर्माण में 

सालों लगता है ....   

तोड़ने में, कुछ ही दिन  ! 

तोडना, कितना आसान 

और जोड़ना कितना मुश्किल!  


टूटे चीज़ जोड़ने पर भी 

पहले जैसा नहीं होता 

बाहर से ठीक लगने पर भी 

सालों लगता है 

अंदर की घाव भरने ...  


तो  मित्रों  , सावधान!  

तोड़ने  से बचे रहो , और हमेशा 

जोड़ने में लगे रहो ! 

राजीव मूतेडत   




2 comments:

  1. बात तो आपकी एकदम सही है आदरणीय राजीव जी और यह बात हमारे लोकतंत्र की मौजूदा हालत पर भी लागू है।

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    1. धन्यवाद जितेन्द्रजी !

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