Tuesday 19 December 2017

सोचकर सोचना

भारत देश की आध्यात्मिक पढाईयों में
तीन बातों की चर्चा होती है - मनसा, वाचा, कर्मणा
इसमें बोल और कर्म होती  है, सोच के आधार पर -
तो  पहली  स्थान है, सोच का ही  !

बुरा या भला, किसी व्यक्ति पर
जब हम सोचते है, अज़र पड़ता है पहले
सोचने वालों पर,फिर उस व्यक्ति पर
और अन्त में समाज पर भी!

तो कितना सोचकर सोचना है
कि गलत परिणाम खुद पर
और इतने सारे लोगों पर न पढ़े
उल्टा अच्छा सोचे, अपने
दूसरे, सब के भलाई केलिए ...

सोचकर सोचना मित्रों
सोचकर सोचना !

NB: यह कविता बीके ( ब्रह्मकुमारीs)  की  पढाई से प्रेरित है।

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