तेरे बिना भी जी लूँगा
मुस्कुराकर हँस लूँगा
मगर उस हँसी
उस मुस्कराहट
पूर्ण न होती तेरे बिना
अगर तू होती, तो बढ़ती ख़ुशी
और मज़ा होती जीने में
ज़यादा मीठा और प्यारा होता
अगर तू भी होती मेरे साथ
कलम और स्याही
जैसे हम दोनों
को जीना है प्रिये
आ जाओ
भर दे अपने कलम को
और लिख दे हमारे जीवन को
मुस्कुराकर हँस लूँगा
मगर उस हँसी
उस मुस्कराहट
पूर्ण न होती तेरे बिना
अगर तू होती, तो बढ़ती ख़ुशी
और मज़ा होती जीने में
ज़यादा मीठा और प्यारा होता
अगर तू भी होती मेरे साथ
कलम और स्याही
जैसे हम दोनों
को जीना है प्रिये
आ जाओ
भर दे अपने कलम को
और लिख दे हमारे जीवन को
Beautiful lines, Sir - though my knowledge of pure hindi is limited, but I loved it. Good to see that you are good in both languages.
ReplyDeleteThank you Abhra.I hadn't written in Hindi since the college days. now with such encouragement I should consider writing again at least to keep in touch with the language,
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