Saturday, 26 October 2013

तस्ववीर तेरी (18/12/82 )


बस तुम्हे देखने दो
देखते ही रेह्ने दो
और कुछ न माँगता हूँ मै
और कुछ न चाहता हूँ मैँ

चार बार वो दर्शन मिला
चार युग का आनन्द मिला
तेरी मुख का मानसिक तसवीर
हृदय में उपस्थिथ किया

अगले बार आँख मिलने तक
एक और बार देखने तक
तेरी, मानसिक तस्वीर देखता हूँ 
दिलके प्यास बूझता हूँ

आज तक सिर्फ़ देखा तुम्हें
न बात किया या प्रेम किया
फिर भी बहुत क़रीब लगता
जैसे जान पहचान समान

ऐसा हो फिर हम न मिलें
एक दूसरे को न जान ले- पर
तस्वीर लेकर जी लूँगा
बस अब तुम्हें देखने दो
एक और बार दर्शन दो

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