इतना सा बोलने केलिए
इतने सारे शब्दों का प्रयोग !
बात करते करते आप नहीं थकते
पर बेचारे, हम दर्शकों का भी सोच !
हाँ मैं आप का सुझाव,अंतर्दृष्टि ,मान लेता हूँ
धन्यवाद् आप का !
लेकिन एक विनंति आप से भी
कम शब्दों में सीधा बोल !
भारत में, श्रोता व दर्शक
सीधा प्रश्न क्यों न पूछ पाते ?
प्रश्न के पहले
लम्बी भाषण की क्या ज़रूरत?
तो यही है हमारा राष्ट्रीय गुण
सीधी बातों को घुमा फिराके बोलना
सुनने वालों को समझ में आये न आये
दिखाना है दुनिया को
कि हम किसी से कम नहीं !