सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनियों में
कई साल सेवा किये हुए मुझे
"हिंदी दिवस " शब्द सुनते ही याद आती है
दफ्तर में, उन दिनों का अनुष्ठान, और मनाने के सुवर्ण क्षण !
ख़ासकर मन में आता है
हिंदी अफसर अमजद अली ख़ान, बेमेल का
जो बहुत रूचि रखते थे, कार्यक्रमों के आयोजन में
कर्मचारियों केलिए कई प्रतियोगिताएँ
निबंध , भाषण तथा अंताक्षरी
एक हफ़्ते केलिए रहता था, उत्सव का माहौल !
दक्षिण राज्यों में , हिंदी भाषा के ओर प्रेम
ओर उत्साह जगाने केलिए, लगातार
एक दिन नहीं , कई दिनों की चर्चा की है ज़रुरत
हिंदी सिनेमावों पर
जाने माने कवी, कवियत्री की कृतियों पर
हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं के समानताओं पर
कौतुहल, प्रेम ओर शौक़ जगाने से ही
जीती जा सकती है
सभी देश वासियों का दिल!
NB: (1) सब को पूर्व कालीन हिंदी दिवस की शुभ कामनायेँ
(2) इस कविता को मै काव्यकौमुदि चेतना हिंदी मंच पर 11/9/2021 तारिक प्रस्तुत किया था |
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