स्वतंत्रता, स्वतंत्रता दिवस, की बात आते ही
याद आती है, अपना प्रिय विद्यालय
केंद्रीय विद्यालय , एर्नाकुलम
जो डाले थे, देश भक्ति के बीज
पढ़ाई के हर, कण कण में
दो वीर राजाओं - अशोक और शिवाजी
तथा एक वैज्ञानिक, एक महाकवि
सी वी रामन, टैगोर के नामों पर चार, छात्र समूह
सवेरे के प्रार्थना में ,संस्कृति एवं परंपरा
याद दिलाने वाले, पंक्तियाँ
स्कूल के उस, सुनहरे काल
उन दिनों, जब देश महिमा की एहसास , एक दिन नहीं
हर दिन, हर पल, दिलाते थे, हमें
लड़का, बड़ा होते होते, युवक , मद्य वयस्क
वृद्ध बनते बनते , समझ में आया
कि आज़ादी सब केलिए नहीं - सिर्फ कुछ लोगों केलिए
मौका न मिलनेवाली, आज़ादी
अवसर से वंचित ,आज़ादी
यह, कौन सी आज़ादी है ?
एक तरफ, " हम आज़ाद है ! हम आज़ाद है !
विकसित देशों के हम बराबर " जैसे गर्वीला नारे बाज़ी
दूसरी तरफ, सामान्य नागरिक, असुरक्षित
उसका मोबाइल फ़ोन पर जासूसी
निजी जीवन पर भी हमला , हस्तक्षेप!
यह सब होते हुए भी , अपने झंडा
तिरंगा , देखते ही जाग उठता है
भारतवासी में प्रेम , उमंग, उत्साह
फिर से आशाएँ, सपने देखने की प्रेरणा
शरीर सीधा होने लगता है
हाथ ऊपर उठते है , आप से आप
माँ को सलाम करने
भारत माता को अभिवादन करने !
NB: 1) सबी देशवासियों को, पूर्वकालीन, पचहत्तरवाँ स्वतंत्र दिवस की शुभ कामनाएँ
2) इस कविता को मै काव्यकौमुदि चेतना हिंदी मंच पर 8/8/2021 तारिक प्रस्तुत किया था |
Hari OM
ReplyDeleteIt is fine to be proud of one's country
But to create terror among the people
To separate and segregate
is surely a backward step
Freedom lost in parlous state
But she is loved by every
person who treads her soil
each has a right and claim
So let ALL her people cry,
"Vande Mataram"!
Trusting I have caught the essence of your thought here - my Hindi practice is lacking these days! YAM xx
You are spot on! Thanks a lot for responding and sharing your thoughts!
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