आ गया है वसंत
छा गया है रंग और मस्ती
ख़ुशी का माहौल फैल रहा है
हवा में है, प्रेम का सुगंध!
ऋतुओं तो आती रहती हैं
वसंत से गर्मी
फिर वर्षा , पतझड़ , शीत...
पर आज, हम कल का न सोचेंगे
सिर्फ वर्त्तमान का मज़ा लेंगे !
हे वसंत! नवयौवन में तुम्हारा सौंदर्य
शोभा , प्रताप से हम सब आकर्षित!
आज न सोचेंगे कल की बात
सिर्फ खेलेंगे , ख़ुशी मनायेंगे
मग्न हो जाएंगे तेरी खूबसूरती में
हाँ , कल बदलेगा स्तिथि
उस समय जो करना हैं करेंगे
पर आज .. आज पूरा फायदा उठायेंगे तेरा
ओ खुशियों का प्रतीक, ऋतुराज
प्रिय वसंत !
राजीव मूतेडत
NB: इस कविता को मैं काव्य कौमुदी चेतना हिंदी मंच द्वारा आयोजित ज़ूम सम्मलेन (15/3/2021) में प्रस्तुत किया था |
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