आज के ज़माने में शिकायत ही शिकायत है
पति को पत्नी से शिकायत
पत्नी को पति से शिकायत
अधिकारियों को कर्मचारियों से शिकायत
और कर्मचारियों का है अधिकारियों से शिकायत
सब समझते है दोष दुसरे का है
खुद तो है, सही हमेशा
कोई कहते है
"आज के बच्चे बिगड़ गए है "
तो कोई मानते है कि "मेरे पिता
न मुझे या बदली दुनिया को समझता"
लेकिन इन शिकायोतों से क्या फायदा
एक दुसरे को न समझना
कलह होना स्वाभाविक है,
कलयुग में जो हम रहते है !
शिकायत,और ज़्यादा शिकायतों से
बात बढ़ती है, होती ख़राब!
इस संकट का निवारण हो सकता
सिर्फ प्रेम और सहन शक्तियों से
शिकायत का जवाब प्रेम से
कड़वे बोलों के जवाब मीठे बोलों से
पहला कदम उठाने से
थोड़ा सहन शक्ति भी दिखाने से
मिट जायेगा शिकायत,
अपना, और दूसरों का
और संबंधों रहे सदा बहार !
NB: यह कविता बीके ( ब्रह्मकुमारीज) की पढाई से प्रेरित है।
पति को पत्नी से शिकायत
पत्नी को पति से शिकायत
अधिकारियों को कर्मचारियों से शिकायत
और कर्मचारियों का है अधिकारियों से शिकायत
सब समझते है दोष दुसरे का है
खुद तो है, सही हमेशा
कोई कहते है
"आज के बच्चे बिगड़ गए है "
तो कोई मानते है कि "मेरे पिता
न मुझे या बदली दुनिया को समझता"
लेकिन इन शिकायोतों से क्या फायदा
एक दुसरे को न समझना
कलह होना स्वाभाविक है,
कलयुग में जो हम रहते है !
शिकायत,और ज़्यादा शिकायतों से
बात बढ़ती है, होती ख़राब!
इस संकट का निवारण हो सकता
सिर्फ प्रेम और सहन शक्तियों से
शिकायत का जवाब प्रेम से
कड़वे बोलों के जवाब मीठे बोलों से
पहला कदम उठाने से
थोड़ा सहन शक्ति भी दिखाने से
मिट जायेगा शिकायत,
अपना, और दूसरों का
और संबंधों रहे सदा बहार !
NB: यह कविता बीके ( ब्रह्मकुमारीज) की पढाई से प्रेरित है।
bahut sahi!
ReplyDeleteShukriya Amitji!
ReplyDeleteThank you Anupam!
ReplyDeleteसच में, आत्मसंयम रखने से बहुत सी समस्याएँ उठेंगी ही नहीं । और जो हैं, वे बढेंगी नहीं ।
ReplyDeleteशुक्रिया अमित!
DeleteVery well written. Totally agree with you :)
ReplyDeleteThank you so much Purba!
Deleteशुक्रिया राकेशजी!
ReplyDeleteBahut badhiya. Bahut acche! :)
ReplyDeleteWell written. Agree with you :)
Thank you so much! Motivates me to write more in Hindi.
Deleteबहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति। मुझे बेहद पसंद आई। कीप राइटिंग सर।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद जमशेद जी!
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