भारत देश की आध्यात्मिक पढाईयों में
तीन बातों की चर्चा होती है - मनसा, वाचा, कर्मणा
इसमें बोल और कर्म होती है, सोच के आधार पर -
तो पहली स्थान है, सोच का ही !
बुरा या भला, किसी व्यक्ति पर
जब हम सोचते है, अज़र पड़ता है पहले
सोचने वालों पर,फिर उस व्यक्ति पर
और अन्त में समाज पर भी!
तो कितना सोचकर सोचना है
कि गलत परिणाम खुद पर
और इतने सारे लोगों पर न पढ़े
उल्टा अच्छा सोचे, अपने
दूसरे, सब के भलाई केलिए ...
सोचकर सोचना मित्रों
सोचकर सोचना !
तीन बातों की चर्चा होती है - मनसा, वाचा, कर्मणा
इसमें बोल और कर्म होती है, सोच के आधार पर -
तो पहली स्थान है, सोच का ही !
बुरा या भला, किसी व्यक्ति पर
जब हम सोचते है, अज़र पड़ता है पहले
सोचने वालों पर,फिर उस व्यक्ति पर
और अन्त में समाज पर भी!
तो कितना सोचकर सोचना है
कि गलत परिणाम खुद पर
और इतने सारे लोगों पर न पढ़े
उल्टा अच्छा सोचे, अपने
दूसरे, सब के भलाई केलिए ...
सोचकर सोचना मित्रों
सोचकर सोचना !
NB: यह
कविता बीके ( ब्रह्मकुमारीs) की पढाई
से प्रेरित है।
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