स्वमान और अभिमान के
बीच की रेखा कितना पतला है
स्वमान मे रहने वालों को
अभिमान मे आने की ज़रूरत ही नहीं होती
सवाल ही नहीं उठता !
कहाँ, अभिमान की बात
जब बन्दा अंदर से, है मज़बूत
अभिमान ताकत का नहीं
उल्टा कमज़ोरी की है निशान!
बीच की रेखा कितना पतला है
स्वमान मे रहने वालों को
अभिमान मे आने की ज़रूरत ही नहीं होती
सवाल ही नहीं उठता !
कहाँ, अभिमान की बात
जब बन्दा अंदर से, है मज़बूत
अभिमान ताकत का नहीं
उल्टा कमज़ोरी की है निशान!
NB: यह
कविता बीके ( ब्रह्मकुमारीs) की पढाई
से प्रेरित है।
बहुत बढ़िया !!
ReplyDeleteशुक्रिया योगी जी!
ReplyDeleteOne of your best I feel! :D
ReplyDeleteThank you Deepa!
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